पता नहीं यह भारतीय संस्कृति थी
या ऐसे उनके व्यक्तिगत संबंध रहे आ रहे थे
एक बड़े आदमी के प्रति श्रद्धा थी
या एक अच्छे आदमी की विनम्रता थी
बहरहाल कविवर ने मिश्र जी के पैर
सबके सामने छू लिए
इसलिए नहीं कि उनसे कोई लाभ लेना था
लेकिन ऐसा करने से लाभ होता है
कविवर यह जानते ज़रूर थे
हमारा जैसा समय है उसमें
यह जानना कितना बारीक जानना है
मिश्र जी के पैरों को जानना